Thursday, March 11, 2010

अखिर ये किसका पैदाईस है।

मैं ब्लागर नही हू ब्लागिग नही करता हू लेकिन बिकाउ मिडीया के समाचार देखने और पढ़ने से ज्यादा अच्छा ब्लागरों के ब्लाग को पढ़ना लेकिन कुछ दिन से देख रहा हू कि ब्लागर जगत में एक भूचाल सा दिख रहा है गालि-गलैज के द्वारा अपने अपने खानदान के व्यक्तित्व का प्रर्दशन करने बाले मुर्ख ब्लागरों का संख्या कुछ दिनों में कुछ ज्यादा हो गया है जो अपने धर्म से ज्यादा दुसरों के धर्म में रुची दिखातें हैं। उसमें भी दुसरे के धर्म कि बुराईयों को खोजने में कुछ ज्यादा व्यस्त रहतें है शायद उन्हें पता नही है चाँद पर थुकने बाले के मूँह पर ही थुक गीरता है। नाम बदल कर या दुसरे धर्म के अनुसार नाम रख कर धर्म को गाली देने या धर्म के बुराई खोजने बाले इतना तो बतादे उनके शरीर में खुन किसका वह रहा है नाम का या का.............. का।

ब्लाग कोई थुकने की जगह नही है इसे स्वच्छ बनाये रखें या फिर यह बता कि आप पैदाईस किसके है।

5 comments:

Anonymous said...

दोष उनका नहीं उनकी शिक्षा का है जो मदरसों में मौलवी देते रहे हैं। ये सब तो छोटी मछलियां है, बड़ी मछलियों के निर्देशन पर ये सारा खेल होता है। और बड़ी मछलियां है जाकिर नाईक जैसे लोग!

March 11, 2010 at 8:49 PM
Anonymous said...

खूद के घर में उनकि मां-बहेन क्या करती है ये ही उन को पता नही, दूसरे के धरम को सिक्छा देते फ़ीरते है

March 11, 2010 at 9:33 PM
Udan Tashtari said...

अफसोसजनक घटनाक्रम है.

March 12, 2010 at 7:34 AM
nitin tyagi said...

aise log suwer ki padaish hote hain |

March 12, 2010 at 12:30 PM
भारतीय नागरिक - Indian Citizen said...

pahale anonymous ke saath..ब्लाग जगत में कई ऐसे धर्मप्रचारक घुस आये हैं जो अपने धर्म का प्रचार तो करते ही हैं जिससे किसी को कोई दिक्कत नहीं. लेकिन ऐसे व्यक्तियों का मुख्य उद्देश्य है हिन्दुओं पर, उनकी मान्यताओं और उनके धर्म-ग्रन्थों तथा देवी-देवताओं पर हमला करना. अब ऐसे ब्लाग्स पर जाना बन्द करना चाहिये और मुझे लगता है कि अब हम सभी लोगों को ऐसे ब्लाग्स पर जाकर टिप्पणी देना बन्द करना चाहिये और इन ब्लाग्स पर दिये जा रहे कुतर्कों के जबाव में, इनकी तरह धर्म पर हमला न कर, अच्छा सार्थक लेख लिखकर ऐसे लोगों को बगलें झांकने पर मजबूर करेंगे. यह लोग जहां से पढ़कर आये हैं और जो पढ़कर आये हैं उसी के अनुरूप कार्य कर रहे हैं. हम लोग तो एक बार अपनी गलती, अपनी आलोचना स्वीकारते हैं लेकिन इस प्रकार के लोगों से ऐसी कोई उम्मीद करना बेमानी है.

March 16, 2010 at 11:57 PM

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