धर्मनिरपेक्षतावादी बयानों का विरोधाभास देखिये::कांग्रेस पार्टी का असली चेहरा

1.हजारों सिखों का कत्लेआम – एक गलती और कश्मीर में हिन्दुओं का नरसंहार – एक राजनैतिक समस्या
2. गुजरात में कुछ हजार लोगों द्वारा मुसलमानों की हत्या – एक विध्वंस और बंगाल में गरीब प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी – गलतफ़हमी
3. गुजरात में “परजानिया” पर प्रतिबन्ध – साम्प्रदायिक, और “दा विंची कोड” और “जो बोले सो निहाल” पर प्रतिबन्ध – धर्मनिरपेक्षता
4. कारगिल हमला – भाजपा सरकार की भूल और चीन का 1962 का हमला – नेहरू को एक धोखा
5. जातिगत आधार पर स्कूल-कालेजों में आरक्षण – सेक्यूलर और अल्पसंख्यक संस्थाओं में भी आरक्षण की भाजपा की मांग – साम्प्रदायिक
6. सोहराबुद्दीन की फ़र्जी मुठभेड़ – भाजपा का सांप्रदायिक चेहरा ओर ख्वाजा यूनुस का महाराष्ट्र में फ़र्जी मुठभेड़ – पुलिसिया अत्याचार
7. गोधरा के बाद के गुजरात दंगे - मोदी का शर्मनाक कांड और मेरठ, मलियाना, मुम्बई, मालेगांव आदि-आदि-आदि दंगे - एक प्रशासनिक विफ़लता
8. हिन्दुओं और हिन्दुत्व के बारे बातें करना – सांप्रदायिक ओर इस्लाम और मुसलमानों के बारे में बातें करना – सेक्यूलर
9. संसद पर हमला – भाजपा सरकार की कमजोरी और अफ़जल गुरु को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद फ़ांसी न देना – मानवीयता
10. भाजपा के इस्लाम के बारे में सवाल – सांप्रदायिकता ओर कांग्रेस के “राम” के बारे में सवाल – नौकरशाही की गलती
11. यदि कांग्रेस लोकसभा चुनाव जीती – सोनिया को जनता ने स्वीकारा ओर मोदी गुजरात में चुनाव जीते – फ़ासिस्टों की जीत
12. सोनिया मोदी को कहती हैं “मौत का सौदागर” – सेक्यूलरिज्म को बढ़ावा ओर जब मोदी अफ़जल गुरु के बारे में बोले – मुस्लिम विरोधी
क्या इससे बड़ी दोमुंही, शर्मनाक, घटिया और जनविरोधी पार्टी कोई और हो सकती है?
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केरल के इदुक्की जिले में दंगा – किसी सेकुलर न्यूज़ चैनल पर कोई खबर नहीं…

केरल के इदुक्की जिले का व्यापारिक मुख्यालय थोडुपुज़ा में गत शुक्रवार को उग्र मुस्लिमों की भीड़ ने जमकर दंगा मचाया, कई दुकानों में आग लगाई और लूटपाट की। जुमे की नमाज़ के बाद मस्जिदों से बाहर निकले सैकड़ों मुसलमान इस बात पर आरोप लगा रहे थे कि स्थानीय न्यूमैन कॉलेज बी कॉम के एक प्रश्नपत्र में पैगम्बर मोहम्मद और अल्लाह के बारे में अपमानजनक प्रश्न पूछा गया है, लेकिन जैसा कि हमेशा होता है मुसलमानों का किसी लोकतान्त्रिक पद्धति पर विश्वास तो है नहीं, न कोई पुलिस रिपोर्ट, न कॉलेज प्रशासन से कोई शिकायत की, बस पागल की तरह उठे और जुमे की नमाज़ के बाद दंगा मचाना शुरु कर दिया।

इस दंगे में कई पुलिसवाले और मासूम राहगीर जख्मी हुए, तथा दंगाईयों ने थोडुपुझा के श्रीकृष्ण स्वामी मन्दिर के मुख्य द्वार को भी तोड़ दिया (यानी शिकायत कॉलेज प्रशासन से, लेकिन निशाना हिन्दुओं पर… इस प्रकार के ठस लोग हैं ये)। सड़क चलती महिलाओं और 12वीं की परीक्षा देने जा रहे विद्यार्थियों को भी नहीं छोड़ा गया और जमकर पीटा गया।


केरल की “कमीनिस्ट” सरकार के पुलिस अधिकारियों ने प्रोफ़ेसर टीजे जोसफ़ पर केस दर्ज किया है, जबकि कॉलेज के अन्य प्रोफ़ेसरों का कहना है कि अकेले जोसेफ़ को दोषी ठहराना ठीक नहीं, क्योंकि प्रश्नपत्र तैयार करने वाली एक कमेटी होती है।

इस मामले में पेंच यह है कि न्यूमैन कॉलेज की स्थापना डायोसीज़ ऑफ़ कोठामंगलम द्वारा कार्डिनल न्यूमैन की याद में की गई थी। आशंका व्यक्त की जा रही है कि ईसाईयों के एक ग्रुप ने जानबूझकर हिन्दू-मुसलमानों के बीच दंगा फ़ैलाने के लिये यह चाल खेली है। दीपिका.कॉम नामक मलयाली वेबसाईट ने चतुराईपूर्ण तरीके से जोसफ़ को सीपीएम का सदस्य बताकर इस मामले से “चर्च” की भूमिका को गायब कर दिया। इस प्रकार की “हरकत” और शरारत लगातार जारी रहेगी… अमूमन अनपढ़ मुस्लिमों में दिमाग तो घुटने से भी नीचे ही होता है, किसी मुल्ला ने शुक्रवार को कुछ बका और ये निकल पड़े हथियार लेकर बिना कुछ सोचे-समझे।

इस मामले में ईसाई बेहद चालाक हैं, पहले मुस्लिम और ईसाई अलग-अलग होकर हिन्दुओं को मारेंगे, फ़िर बाद में आपस में लड़ेंगे…। वैसे तो पूरी दुनिया में ईसाईयों ने मुस्लिमों के पिछवाड़े में डण्डा कर रखा है, लेकिन फ़िलहाल भारत में इन्हें ये हिन्दुओं से लड़वायेंगे… क्योंकि जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है इनमें दिमाग नाम की कोई चीज़ तो होती नहीं… बस “इस्लाम खतरे में है…” सुनाई दे जाये, तो ये निकल पड़ेंगे…।

रही राष्ट्रीय मीडिया की बात, तो पुण्य प्रसून वाजपेयी को अमिताभ-सीलिंक मामले, रवीश कुमार को गुजरात मामले और रजत शर्मा को मूर्खतापूर्ण जादू-टोने वाली खबरों से फ़ुरसत मिले तब ये दिखायें, और उनके “असली मालिक” बरेली के दंगों की तरह, ऐसे किसी भी दंगे को ब्लैक आउट करने को कहते रहें… तो वह भी क्या करें…
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