बरेली के दंगे - साँपों को दूध, गिद्ध भोजन और सेकुलर मीडिया
बरेली में मौलाना तौकीर रज़ा खान को माया सरकार ने रिहा कर दिया है और फ़िर से दंगे शुरु हो गये हैं…बरेली के दंगों को "हरामखोर सेकुलर मीडिया" ने पूरी तरह से ब्लैक आऊट कर दिया है… मूर्ख हिन्दू हमेशा की तरह शान्ति का राग अलाप रहे हैं, भाजपा महिला बिल पास करवाने के लिये कांग्रेस का साथ दे रही है और उत्तरप्रदेश में हिन्दुओं की परवाह करने वाला कोई नहीं है…
http://news.rediff.com/report/2010/mar/12/clashes-in-bareilly-after-accused-cleric-freed.htm
पिछली कुछ खबरों का संकलन इधर पढ़िये…
गिरफ्तार धर्मगुरू के समर्थन में उतरी उलेमा काउंसिल
दो मार्च को जुलूस-ए-मोहम्मदी के दौरान हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद शहर में कर्फ्यू लगा दिया गया था
बरेली में बीते सप्ताह हुई सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में गिरफ्तार मुस्लिम धर्मगुरू एवं इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष तौकीर रजा खान को तुरंत रिहा किए जाने की मांग करते हुए उलेमा काउंसिल ने सड़कों पर उतरकर विरोध की धमकी दी है।
काउंसिल के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद ताहिर मदनी ने बुधवार को आजमगढ़ में संवाददाताओं से कहा कि अगर अगले दो दिनों में बरेली पुलिस ने धर्मगुरू तौकीर रजा को रिहा नहीं किया तो हजारों की संख्या में उनके समर्थक राज्य भर में सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने राज्य सरकार को मुस्लिम विरोधी करार दिया।
मदनी ने कहा कि धर्मगुरू को सलाखों के पीछे डालने से उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस का अल्पसंख्यक विरोधी चेहरा सामने आ गया है। धर्मगुरू पर लगाए गए धार्मिक उन्माद फैलाने जैसे सारे आरोप बेबुनियाद हैं।
उन्होंने कहा कि बरेली शहर में हुई सांप्रदायिक हिंसा के असली गुनहगारों को पकड़ने के बजाए सरकार और पुलिस अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बना रही है। पुलिस असली गुनहगारों को बचा रही है। उल्लेखनीय है कि बरेली पुलिस ने सोमवार को धर्मगुरू तौकीर रजा खान को गत 2 मार्च को एक धार्मिक जुलूस के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।
http://www.youtube.com/watch?v=Jo5u_Wej-PY
http://www.youtube.com/watch?v=9sIafXVSwmc
बरेली: कर्फ्यू हटा फिर भी है तनाव
बरेली. उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में दंगा भड़काने के आरोप में इत्तेजाद मिल्लत कौंसिल (आईएमसी) के अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा खां की गिरफ्तारी के विरोध में दरगाह ए आला हजरत के सज्जादानशी सुब्हानी मियां के नेतृत्व में शुरु किया गया अनिश्चितकालीन धरना आज भी जारी है।
शहर में व्याप्त तनाव के मद्देनजर चारों हिंसाग्रस्त क्षेत्नों में आज कफ्यरू में शाम चार बजे से छह बजे तक केवल दो घंटे की ही ढील दी गई है। एहतियातन शहर के सभी स्कूल कालेज आज भी बंद कर दिए गए हैं और आज सिर्फ बोर्ड परीक्षाएं ही होंगी।
दूसरी ओर स्थिति का जायजा लेने के लिए प्रदेश के पुलिस महानिदेशक कर्मवीर सिंह और गृह विभाग के प्रमुख सचिव फतेहबहादुर सिंह के दौरे के बाद कल देर रात सरकार ने बरेली के जिलाधिकारी आशीष कुमार गोयल और पुलिस उपमहानिरीक्षक एम.के. बशाल का तबादला कर दिया।
पीलीभीत के जिलाधिकारी अनिल गर्ग ने बरेली के जिलाधिकारी का अतिरिक्त प्रभार और श्री बशाल के स्थान पर ए. टी. एस. इलाहाबाद जोन श्री राजीव सब्बरवाल ने आज बरेली के पुलिस उप महानिरीक्षक का कामकाज संभाल लिया।
गौरतलब है कि बरेली के प्रेमनगर क्षेत्र के भीड़-भाड़ वाले कोहाडापीर इलाके से एक धार्मिक जुलूस निकाले जाने से पहले शहर के संजयनगर, कोहाडापीर, सराय चहाबाई, शाहदाना, कुतुबखाना, किला और बानखना समेत कई स्थानों पर दो संप्रदायों के बीच हिंसक झड़प हुई थी।
बरेली जाते समय रीता बहुगुणा जोशी गिरफ्तार (गिद्धों के दौरे शुरु)
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के कर्फ्यूग्रस्त शहर बरेली जाते समय कांग्रेस की राज्य इकाई की अध्यक्ष डा. रीता बहुगुणा जोशी को शनिवार को गिरफ्तार कर लिया गया।
पुलिस के अनुसार जोशी बरेली जाना चाहती थीं लेकिन सुरक्षा कारणों के मद्देनजर उन्हें इटौंजा में ही गिरफ्तार कर लिया गया। कुछ देर बाद पुलिस ने डा. जोशी और अन्य कार्यकर्ताओं को रिहा कर दिया।
इस बीच डा. जोशी ने कहा कि वह घटनास्थल का दौरा करने और शहर में स्थिति का जायजा लेने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बरेली जा रही थीं। उन्होंने अपनी गिरफ्तारी पर रोष व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें बरेली नहीं जाने देना उनके लोकतांत्रिक अधिकारों पर कुठाराघात है।
उन्होंने इस घटना की जांच के लिए बरेली के सांसद प्रवीन सिंह ऎरन के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया है। जांच दल के सदस्य के रूप में पूर्व केन्द्रीय मंत्री अनिल शास्त्री और पूर्व सांसद बेगम नूरबानो शामिल हैं। जांच दल बरेली पहुंचकर अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस कमेटी को देगा।
नहीं पहुंच सके शिवपाल, अहमद हसन (कुछ और गिद्ध आये)
हिंसाग्रस्त इलाकों में दौरा करने आ रहे नेता प्रतिपक्ष शिवपाल सिंह यादव और नेता प्रतिपक्ष विधान परिषद अहमद हसन को शहर पहुंचने से पहले गिरफ्तार कर लिया गया। सैफई से चले शिवपाल सिंह यादव व उनके साथ आ रहे एमएलसी राकेश राना को फतेहगढ़ में गिरफ्तार कर लिया गया। वहीं लखनऊ से चले अहमद हसन को मलिहाबाद में गिरफ्तार किया गया।
बरेली में फ्लैगमार्च के साथ कर्फ्यू में ढील
बरेली। जुलूस-ए-मुहम्मदी के मार्ग विवाद को लेकर भड़की हिंसा पर काबू के साथ अब शहर बरेली में जिंदगी पटरी पर लौटने लगी है। गुरुवार को प्रशासन ने नरमी तो बरती लेकिन, फ्लैगमार्च की चौकसी में ही कर्फ्यू में चार घंटे ढील दी गई। इस दौरान लोग खरीददारी के लिए बाजार में उमड़ पड़े। गनीमत रही कि ढील के दौरान कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।
गौरतलब है कि जुलूस-ए-मुहम्मदी के बाद हुए उपद्रव में शहर का बड़ा हिस्सा जल उठा था। दर्जनों घर और दुकानें फूंक दी गई। महिलाओं और बच्चों तक को भी उपद्रवियों ने नहीं बख्शा। पुलिस के जवानों समेत तमाम लोग घायल भी हुए। पुलिस को सैकड़ों राउंड फायरिंग करनी पड़ी थी। करीब चार घंटे तक तांडव चलता रहा, जिसके बाद प्रशासन को बारादरी, कोतवाली, प्रेमनगर और किला में कर्फ्यू लगा दिया। बुधवार को शहर के मुअज्जिज लोगों के साथ मीटिंग के बाद प्रशासन ने गुरुवार को प्रभावित क्षेत्र में चार और अन्य इलाकों में शाम पांच बजे तक कर्फ्यू में ढील का ऐलान कर दिया।
गुरुवार छह बजे जैसे ही कर्फ्यू हटा तो 36 घंटों से घरों में कैद लोग सड़कों पर निकल आए। जरूरत की चीजें खरीदने के लिए दुकानों पर कतारें लग गईं।
उपद्रव में सबसे ज्यादा प्रभावित हुए इलाकों चाहबाई, गुद्दड़बाग, कोहाड़ापीर, बानखाना में हालात सामान्य रहे। काफी तादाद में लोग घरों से निकले। कोहाड़ापीर और कुतुबखाना पर चंद घंटों में ही रोज की तरह ही जाम की स्थिति बन गई। मेयर सुप्रिय ऐरन, राज्यसभा सदस्य वीरपाल सिंह यादव, पूर्व सासंद संतोष गंगवार, विधायक अता उर रहमान, तमाम व्यापारी नेता और समाजसेवी भी पहुंचे।
तौकीर रजा की रिहाई फिर टली
बरेली। आईएमसी के प्रमुख तौकीर रजा खां की जमानत अर्जी पर फैसला फिर से गुरुवार पर टल गया है। बुधवार को एडीजे प्रथम अश्रि्वनी कुमार की अदालत में मौलाना की जमानत अर्जी पर सुनवाई शुरू हुई तो दंगा पीड़ित पक्षकारों की ओर से 17 अधिवक्ताओं ने अर्जी दी कि फैसला देने से पहले उनका पक्ष भी सुन लिया जाए। यह भी कहा गया कि इसके लिए पीड़ित पक्ष को दो दिन की मोहलत चाहिए। इस पर अदालत ने एक दिन का समय देने का आदेश दिया। इसीलिए अब सुनवाई गुरुवार 11 मार्च को होगी और पीड़ित पक्ष अपना हलफनामा प्रस्तुत करेगा। बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने जमानत अर्जी पर बहस करते हुए दलीलें दी कि अभियुक्त तौकीर रजा खां इस मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामजद मुल्जिम नहीं हैं। यदि वह घटनास्थल पर मौजूद होते तो उन्हें भी नामजद किया गया होता। वह निर्दोष हैं और पूरे प्रकरण में उनका कोई रोल प्रमाणित नहीं है इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए।
अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता [फौजदारी] राजेश कुमार यादव ने जमानत अर्जी का विरोध किया। सुनवाई के दौरान 17 अधिवक्ताओं ने अदालत में जो अर्जी प्रस्तुत कीं वे पूरनलाल, सीमा मौर्य, जमुना प्रसाद मौर्य, उमाकांत मौर्य, रामकृष्ण आकाश सक्सेना, पुष्पेंदु शर्मा की ओर से थी। इन लोगों का दावा है कि इनकी करोड़ों की सम्पत्ति इस दंगे में नष्ट हो चुकी है और उनके पास जीविका का कोई दूसरा साधन नहीं बचा है। पीड़ित पक्ष ने तौकीर रजा खां के खिलाफ लंबित फौजदारी के आधा दर्जन मुकदमों का विवरण देकर उनका आपराधिक इतिहास भी तलब करने का अनुरोध किया।
बरेली शहर कर्फ्यू और फोर्स के हवाले
बरेली। शहर के बिगड़े हालात फिलहाल सुधरते नहीं दिख रहें हैं। खासकर आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खां की गिरफ्तारी के बाद तनाव और बढ़ गया है। प्रशासन किसी हाल में नया बवाल नहीं लेना चाहता। लिहाजा उसने नया सेक्योरिटी प्लान लागू कर दिया है। अब तकरीबन पूरा शहर ही कर्फ्यू की जद में आ चुका है। मेन रोड पर सन्नाटा पसरा है तो गलियों में सख्ती बढ़ा दी गई है। मंगलवार को पूरा शहर ही छावनी बना दिया गया।
दो मार्च को उपद्रव के बाद जिंदगी पटरी पर लौटने लगी थी। कर्फ्यू में भी ढील लगातार बढ़ रही थी और लोग सड़कों पर निकलने लगे थे। एकाएक दंगा भड़काने के आरोप में मौलाना तौकीर की गिरफ्तारी के बाद शहर पुराने ढर्रे पर लौट गया। कोतवाली, बारादरी, प्रेमनगर, किला थाना क्षेत्र ही नहीं। अब तकरीबन पूरा शहर कर्फ्यू के जद में आ गया है। सीबीगंज, इज्जतनगर, सुभाषनगर, कैंट और बिथरी इलाके में भी मार्केट पूरी तरह बंद हो गए। इक्का-दुक्का दुकानें ही खुलीं। सभी प्रमुख सड़कों को पीएसी और आरएएफ के हवाले कर दिया गया। किसी को भी घर से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। लोकल पुलिस के अलावा पीएसी के जवान चप्पे-चप्पे पर नजर रखे हुए हैं।
चूंकि मौलाना तौकीर के समर्थक देहात क्षेत्र में भी हैं। लिहाजा शहर के बाहरी इलाकों में भी गश्त बढ़ा दी गई है। आईटीबीपी और बीएसएफ की टुकड़ियां भी प्रशासन ने मांग ली हैं। अगर जल्द हालात सामान्य नहीं हुए तो कुछ आरएएफ और बुलाई जाएगी। डीएम आशीष कुमार गोयल, डीआईजी एमके बशाल समेत पूरा अमला शहर में गश्त करता रहा। विरोध की रणनीति बना रहे लोग गांधीगिरी पर उतर आए और छिटपुट जगह गिरफ्तारियां भी दी गर्ई। डीआईजी एमके बशाल ने बताया कि कर्फ्यू में सख्ती बरकरार रहेगी।
3 comments:
Kya hoga is desh ka jahan par media news ko hide kar-2 dikhata hai
March 12, 2010 at 12:28 PMपंचतंत्र में एक कथा है। एक बार किसी जंगल में एक शेर का शावक अपनी माँ से बिछड़ गया। जंगल में उसका चिल्लाना एक सियार दम्पत्ति ने सुना तो वे उसे अपनी माँद में ले आये। अब वह सिंह-शावक सियार बच्चों के साथ पलने लगा। बच्चे जब बड़े हुए तो उन्हें अकेले जंगल में घूमने की छूट मिल गई। घूमते-घूमते एक दिन उन बच्चों को एक सिंह दिखाई दिया। उसे देखते ही सियार के एक बच्चे ने जो आयु में सबसे बड़ा था, अपना बड़प्पन दिखाते हुए कहा- 'अरे जल्दी से भागो वरना जान नहीं बचेगी।Ó यह सुन कर सियार बच्चे भागने लगे और उनके साथ वह सिंह-शावक भी भागने लगा। जिस शेर को देख ये शावक भागे थे, उसे यह देख कर आश्चर्य हुआ कि एक शेर भी उसे देख कर भाग रहा है। उसने दौड़ कर उस सिंह-शावक को पकड़ा और पूछा- 'तुम क्यों भाग रहे हो?Ó
March 14, 2010 at 7:17 PMशावक ने उत्तर दिया- ''बड़े भैया ने कहा भागो, इसलिये भाग रहा था।ÓÓ इस पर सिंह ने कहा- ''वे तो सियार हैं पर तुम तो सिंह हो, मेरे जैसे हो, तुम्हें तो मेरा सामना करना चाहिये था।ÓÓ
शावक को विश्वास ही नहीं हुआ कि वह भी जंगल के राजा का वंशज है। यह देख सिंह उस शावक को एक नदी के किनारे ले गया और उसे पानी में देखने को कहा।
''देखो तुम मेरे जैसे दिखते हो न, अब मैं आवाज निकालूंगा, तुम भी वैसी ही आवाज निकालना।ÓÓ
यह कह कर सिंह ने गर्जन किया। उसकी देखा-देखी उस शावक ने भी गर्जन किया। जैसे ही उसने दहाड़ लगाई उसका सिंहत्व जाग्रत हो गया और वह सियारों का साथ छोड़ कर सिंहों जैसा व्यवहार करने लगा।
सियार मानसिकता
हिन्दू समाज के सिंह शावकों की स्थिति भी ऐसी ही हो गई है। वर्षों तक अंग्रेज सियारों के साथ रहते-रहते, अंग्रेजी शिक्षा प्राप्त करके, उन्हीं के संस्कार ग्रहण कर वे अपने को सियार समझने लगे हैं। भारत के नौजवानों में अंग्रेजी शिक्षा का ऐसा प्रभाव पड़ा है कि वे अपने को हीन व पिछड़ा, अपनी संस्कृति को दकियानूसी और अपने इतिहास को गुलामी का इतिहास समझते हैं। सियार मानसिकता बुरी तरह से मन और मस्तिष्क पर हावी हो गई है। पूरी दुनिया के समझदार लोग हिन्दू जीवन पद्धति को उत्कृष्ट बता रहे हैं, पूरा विश्व हिन्दुत्व की ओर आशाभरी दृष्टि से देख रहा है, वे हमें सिंह बता रहे हैं, लेकिन हमें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि ''वयं अमृतस्य पुत्रा:ÓÓ, हम अमृत के पुत्र हैं।
इसलिये हमारे लिये भी यह आवश्यक हो गया है कि कोई हमें नदी के किनारे ले जाकर हमारा प्रतिबिम्ब हमें दिखाये, हमारा वास्तविक स्वरूप हमें दिखाये और हमें सिंह-गर्जना करने के लिये प्रेरित करे। आज से लगभग सवा सौ वर्ष पहले भारत माता के एक तेजस्वी पुत्र ने हमें अपना प्रतिबिम्ब दिखाया था। पाश्चात्य संस्कृति के केन्द्र अमरीका की धरती पर सारी दुनिया के विभिन्न मजहबों के प्रतिनिधियों के सामने उस युवा संन्यासी ने हिन्दुत्व की श्रेष्ठता की सिंह गर्जना की। शिकागो की धर्म सभा में हिन्दू धर्म का दिग्विजयी डंका बजा कर जब स्वामी विवेकानन्द भारत लौटे तो उनका प्रथम उद्बोधन रामनद (तमिलनाडु) में हुआ। उसमें उन्होंने कहा-
''हमारी जातीय उन्नति का यही मार्ग है, कि हम लोगों ने अपने पुरखों से उत्तराधिकार-स्वरूप जो अमूल्य सम्पत्ति पाई है, उसे प्राण-पण से सुरक्षित रखना ही हम अपना प्रथम और प्रधान कर्तव्य समझें।
raahul ne theek likha hai, hame apni shakti pahchanni chahiye...
March 16, 2010 at 11:58 PMब्लाग जगत में कई ऐसे धर्मप्रचारक घुस आये हैं जो अपने धर्म का प्रचार तो करते ही हैं जिससे किसी को कोई दिक्कत नहीं. लेकिन ऐसे व्यक्तियों का मुख्य उद्देश्य है हिन्दुओं पर, उनकी मान्यताओं और उनके धर्म-ग्रन्थों तथा देवी-देवताओं पर हमला करना. अब ऐसे ब्लाग्स पर जाना बन्द करना चाहिये और मुझे लगता है कि अब हम सभी लोगों को ऐसे ब्लाग्स पर जाकर टिप्पणी देना बन्द करना चाहिये और इन ब्लाग्स पर दिये जा रहे कुतर्कों के जबाव में, इनकी तरह धर्म पर हमला न कर, अच्छा सार्थक लेख लिखकर ऐसे लोगों को बगलें झांकने पर मजबूर करेंगे. यह लोग जहां से पढ़कर आये हैं और जो पढ़कर आये हैं उसी के अनुरूप कार्य कर रहे हैं. हम लोग तो एक बार अपनी गलती, अपनी आलोचना स्वीकारते हैं लेकिन इस प्रकार के लोगों से ऐसी कोई उम्मीद करना बेमानी है.
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