चूंकि आंध्रप्रदेश में गिराया गया मन्दिर, बाबरी ढाँचा नहीं है, इसलिये सेकुलर रुदालियाँ रोने वाली नहीं है…

विगत 17 मार्च को ईसाईयों के एक समूह ने सेमुअल राजशेखर रेड्डी के स्वप्न को पूरा करने की दिशा में एक कदम और उठाया। आंध्रप्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले के मंगलागुण्टा में एक 100 साल पुराना मन्दिर कुछ ईसाई युवकों द्वारा ढहा दिया गया (यह राम मन्दिर है और दलितों की बस्ती में स्थित है)। स्थानीय लोगों का आरोप है कि तहसीलदार की भी इसमें मिलीभगत है। शुरुआत में तो पुलिस ने भी रिपोर्ट लिखने में आनाकानी की, फ़िर भी बाकायदा नामजद FIR दर्ज की गई है जिसमें मन्दिर गिराने वाले ईसाई युवकों के नाम दिये गये हैं…। पहले भी मन्दिर गिराने की ऐसी कोशिशों का प्रतिरोध किया गया था, लेकिन इस वर्ष रामनवमी उत्सव (24 मार्च) की तैयारियों के बीच एक हमले में 16 मार्च को यह मन्दिर गिरा दिया गया। ईसाईयों ने न सिर्फ़ मन्दिर गिराया बल्कि राम की मूर्ति भी तोड़ दी। इसके बाद हरिजन रामालय सुरक्षा समिति के सदस्यों पर प्राणघातक हमला भी किया गया।

तेलुगु अखबार की कटिंग



दर्ज की गई FIR की प्रति, जिसमें ईसाई युवकों के नाम दिये गये हैं…





अब दिक्कत यह है कि इस मामले पर रोनाधोना मचाने वाली सेकुलर और वामपंथी रुदालियाँ इसलिये चुप हैं क्योंकि यह बाबरी ढाँचा नहीं है… सिर्फ़ एक मन्दिर है और विधर्मियों द्वारा मन्दिरों के तोड़े जाने पर हल्ला मचाने की परम्परा हमारे यहाँ नहीं है…

खबर यहाँ देखें…
http://www.crusadewatch.org/index.php?option=com_content&task=view&id=1066&Itemid=90
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