Friday, March 19, 2010

तुम्हारी बहन बहन दुसरों की बहन माल

सोच सकते हैं कितना घटिया मानसिकता है यैसे लोगों का कितने गिरे लोग हैं ये जो यैसा सोचते हैं कि सिर्फ उनके ही बहू-बेटीयों का इज्जत होता है दुसरों का नही कल मेंरे पास किसी मित्र का एक ई-मेल जिसमें एम.एफ.हूसैन को उसी के अन्दाज में तमाचा मारा गया था देख कर थोडा़ आच्छा लगा खुशी भी हुई अगर हूसैन का ई-मेल आईडी रहता तो उसको भी भेज देता।

आज मेरे एक मित्र ने मुझे एक ब्लाग लिंक भेजा जिसमें हूसैन माँ, बहन और बीबी का नंगा चित्र लगा हुआ था लेकिन ब्लाग ने लेख के द्वारा तर्क या कहिये कुतर्क के द्वारा सभी को यह मनवाने का कोशीश कर रहा था कि जिस किसीने यह चित्र बनाया वह मानसिक दिवालिया या पागल किस्म का आदमी है। मैने उसके पुरे ब्लाग को छान मारा कि शायद यह लेखक हिन्दुओं के भावना को आहत करने वाले हूसैन के चित्र के लिये भी कभी हूसैन को गरियाया होगा लेकिन मुझे सफलता नही मिला उसके द्वारा लिखे गये कई दुसरे लेख को पढा़ तब समझ में आया कि यह लेखक शायद कोई हूसैन कि तरह मानसिक विकृति बाला है जिसे हिन्दूओं के भावना को आहत करने में मान्सिक शुख मिलता है।







आखिर कौन हैं ये लोग जो हूसैन जैसे मानिसक दिवालिया जिहादी मानसिकता वालों के अवाज में अवाज मिला कर उसके साथ खरा नजर आता है इसके लिये हमें थोडा़ फ्लैश बैक में जाना होगा जब इस देश में अंग्रेजो का शासन था।

जब इस देश में अँग्रेज का शासन था उस समय इस देश में दो तरह के लोग थे एक जो अंग्रेज से लडा़ करते थे और दुसरा जो अंग्रेस के साथ खडा़ रहता था और इस देश के जनता को प्रडतारित करने में उसका मदद किया करता था यैसे आदमी को अंग्रेजो के द्वारा फेके गये टुकरे पर पला करते थे और अंग्रेजों को खुश करने के लिये किसी भी हद तक गिर जाया करते थे यहाँ तक अपनी बहन-बेटियों को भी तशतरी में परोस कर अंग्रेजो के सामने भोग लगाने के लिये रख दिया करते थे। उसके बदले में अंग्रेजों के फेके गये रोटी पर अपना पेट पालते थे।

इनका दुर्भाग्य अंग्रेज को इस देश से जाना पारा। यह देश आजाद आजादी के मतबालों ने जम कर खूशी मनाया लेकिन देश के दलालों के शरीर में बहने बाला दलाली का खुन ये नही बदल पायें। दलाली करने कि इनकी आदत जैसी कि तैसी बनी रही जिसका नतिजा यह हूआ कि समय समय पर यह अपने अवैध बाप को खोजने के लिये कभी चीन तो कभी पाकिस्तान कि ओर मूँह उठा कर देखने लगे कि कही से इनके अवैध बाप आयें और हम देशभक्त हिन्दुस्तानियों पर कहर बरपायें जिससे इन्हें मानसिक शुख मिले। ये यैसे दलाल हैं जिन्हें माँ भारता का नंगा चित्र बनाने बाला हूसैन को ये अपने पिता तुल्य मानतें हैं लेकिन माँ भारत के सच्चे सपूत इन्हें नाग कि तरह डसते हैं।

अन्त में

आरती भारत माता की जिसको नहीं सुहाती है
भारत भू की गौरव गाथा जीभ नहीं गा पाती है
हो सकता है बहुत बड़ा हो, पर भारत का भक्त नहीं
आदमी उसको कहने में शर्म बहुत ही आती है

13 comments:

Bhavesh (भावेश ) said...

बस थोड़ी सी नज़र बदलने की देरी है, देखिये कैसे सब कुछ एकदम ठीक ठाक हो गया. इस कोशिश पर आपको सबसे पहले मेरी मुबारकबाद.

March 19, 2010 at 3:07 PM
kunwarji's said...

आरती भारत माता की जिसको नहीं सुहाती है
भारत भू की गौरव गाथा जीभ नहीं गा पाती है
हो सकता है बहुत बड़ा हो, पर भारत का भक्त नहीं
आदमी उसको कहने में शर्म बहुत ही आती है

ye baat bhi bilkul sahi hai....

kunwar ji

March 19, 2010 at 3:36 PM
nitin tyagi said...

हुसैन एक मानसिक रोगी लगता है जो हर चित्र में अपनी माँ बहन आदि को किसी जानवर के साथ ............................................................

March 19, 2010 at 5:40 PM
अजित गुप्ता का कोना said...

कल श्री श्री रविशंकर जी का साक्षात्‍कार स्‍टार न्‍यूज के श्री किशोर अजवाणी ने लिया था। उन्‍होंने हुसैन पर प्रश्‍न किया कि आप उनका विरोध क्‍यों करते हैं? तब श्री श्री जी का उत्तर बहुत ही श्रेष्‍ठ था। उन्‍होंने कहा कि हुसैन स्‍वयं कहते हैं कि मैं जिन्‍हें भी अपमानित करना चाहता हूँ उन्‍हें नग्‍न चित्रित करता हूँ। उन्‍होंने इसीलिए हिटलर को भी नग्‍न चित्रित किया। हमारा विरोध नग्‍नता से नहीं है क्‍योंकि हमारे यहाँ भी नग्‍न देवी-देवता हैं और नग्‍न संन्‍यासी भी हैं, अपितु उस मानसिकता से है जो अपनों को तो कपड़ों में सजाकर प्रस्‍तुत करते हैं और दूसरों को नग्‍न। उन्‍होंने इस बारे में जो सम्‍पूर्ण बात कही वह एकदम सार्थक थी और उसके आगे कोई भी बहस की गुंजाइश नहीं थी।

March 19, 2010 at 5:49 PM
SANJEEV RANA said...

chalo kisi ne to ye suruwaat ki
meine apne kaafi dosto ko pahle hi ye email forward kar di thi aur asha kar rha tha ki ek sarthak paryaash jarur hoga is maansikta ka oppose karne ke liye.

thanks for your paryaash
we must oppose such a narrow minded person's thought at any level aur at any stage

March 20, 2010 at 9:45 AM
Anonymous said...

Akhil Mansik Diwaliya Sammelan ka ayojan PUNE men Chiplunkar ki adhykahstaa men hona chahiye.

March 20, 2010 at 12:42 PM
Pramendra Pratap Singh said...

सार्थक पोस्‍ट, इस प्रकार की बाते जनमानस के बीच मे आनी चाहिये। जिन्‍हे बहुत दुख की हुसैन नागरिकता छोड़ गये तो उन दुखी आत्‍माओ को भी नारिकता छोड़ देनी चाहिये।

March 20, 2010 at 1:33 PM
manu said...

तब श्री श्री जी का उत्तर बहुत ही श्रेष्‍ठ था। उन्‍होंने कहा कि हुसैन स्‍वयं कहते हैं कि मैं जिन्‍हें भी अपमानित करना चाहता हूँ उन्‍हें नग्‍न चित्रित करता हूँ


यदि वाकई हुसैन ने ऐसा कहा है....
तो सरासर गलत कहा है....!

हम हुसैन कि रेखाओं के फैन हैं..लेकिन अगर सच में उसकी ये भावनाएं हैं..वो इन्हें स्वीकारता है ..तो
हम अब तक उसके फैन होने पर शर्मिन्दा हैं.......

हमें उसके इस बयान का ज़रा भी नहीं पता था....

ऐसे इन्सान कि कला चाहे जैसी भी उम्दा हो...
हमें उससे कोई वास्ता नहीं ....

March 20, 2010 at 8:21 PM
manu said...

jaankaari ke liye shukriyaa....

March 20, 2010 at 8:22 PM
भारतीय नागरिक said...

भैये हमें तो दूसरी की बहनों (एक को छोड़ कर, अपने साले की बहन) का सम्मान करना ही सिखाया गया है. इसीलिये सनातन हिन्दू धर्म अच्छा लगता है.

April 1, 2010 at 7:44 PM
hamarivani said...

nice

March 31, 2011 at 1:16 PM
Anonymous said...

good thought buddy

April 24, 2011 at 12:24 PM
mohammed said...

कटुए तो जन्मजात बहनचोद होते हैं, और इसाई पैदायशी मदरचोद. मोहम्मद ने अपनी बहन की दलाली कर के अपनी जान बचाई थी जब jews उसे ख़त्म करने वाले थे. और जीसुस का जन्म ही एक बदनाम औरत से है और यौन विकृत बैबल उस औरत को कच्ची उम्र में चोद कर पेट से करने वाले को गोड कहती है. ऐसे लोगों का क्या भरोसा जो अपनी माँ बहन चोदन में लगे रहते हैं उनसे आप क्या अपेक्षा करेंगे?

July 30, 2011 at 1:59 AM

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