सामान नागरिक सहिता ही भारतवर्ष का सही मायने में सामाजिक व राजनेतिक विकास कर सकती है जो राष्ट्र के आर्थिक विकास के साथ साथ सामरिक विकास में भी विशेष योगदान देगी | लेकिन तथाकथित सेकुरिजम के चलते यह कैसे संभव हो सकता है | किसी कानूनी विशेषज्ञ द्वारा समान नागरिक सहिता का प्रारूप तैयार कर नेट पर डालना चाहिए ताकि इस पर चर्चा स्वरूप टिप्पणिया प्राप्त कर अंतिम रूप देने के पश्चात सम्पूर्ण राष्ट्र के समक्ष रखा जा सके | इस प्रारूप के अभाव में तो सेकुलरवादी इसी चर्चा को ही मनुवादीयो की साम्प्रदायिक सोच कह कर इसकी शुरुवात ही नही होने देगें |
बेधड़क अपने विचार लिखिये, बहस कीजिये, नकली-सेकुलरिज़्म को बेनकाब कीजिये…। गाली-गलौज, अश्लील भाषा, आपसी टांग खिंचाई, व्यक्तिगत टिप्पणी सम्बन्धी कमेंट्स हटाये जायेंगे…
इतने देशभक्तों ने पसन्द किया (10/02/2010 से अब तक)
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3 comments:
अब थोडा बहुत उच्चतम न्यालय पर ही भरोसा है
March 12, 2010 at 12:32 PMsamvidhan me sanshodhan ho jaayegaaa... vote nahin lene hain kya....
March 16, 2010 at 11:59 PMसामान नागरिक सहिता ही भारतवर्ष का सही मायने में सामाजिक व राजनेतिक विकास कर सकती है जो राष्ट्र के आर्थिक विकास के साथ साथ सामरिक विकास में भी विशेष योगदान देगी | लेकिन तथाकथित सेकुरिजम के चलते यह कैसे संभव हो सकता है | किसी कानूनी विशेषज्ञ द्वारा समान नागरिक सहिता का प्रारूप तैयार कर नेट पर डालना चाहिए ताकि इस पर चर्चा स्वरूप टिप्पणिया प्राप्त कर अंतिम रूप देने के पश्चात सम्पूर्ण राष्ट्र के समक्ष रखा जा सके | इस प्रारूप के अभाव में तो सेकुलरवादी इसी चर्चा को ही मनुवादीयो की साम्प्रदायिक सोच कह कर इसकी शुरुवात ही नही होने देगें |
April 6, 2011 at 9:55 PMPost a Comment
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