सोच सकते हैं कितना घटिया मानसिकता है यैसे लोगों का कितने गिरे लोग हैं ये जो यैसा सोचते हैं कि सिर्फ उनके ही बहू-बेटीयों का इज्जत होता है दुसरों का नही कल मेंरे पास किसी मित्र का एक ई-मेल जिसमें एम.एफ.हूसैन को उसी के अन्दाज में तमाचा मारा गया था देख कर थोडा़ आच्छा लगा खुशी भी हुई अगर हूसैन का ई-मेल आईडी रहता तो उसको भी भेज देता।
आज मेरे एक मित्र ने मुझे एक
ब्लाग लिंक भेजा जिसमें हूसैन माँ, बहन और बीबी का नंगा चित्र लगा हुआ था लेकिन ब्लाग ने लेख के द्वारा तर्क या कहिये कुतर्क के द्वारा सभी को यह मनवाने का कोशीश कर रहा था कि जिस किसीने यह चित्र बनाया वह मानसिक दिवालिया या पागल किस्म का आदमी है। मैने उसके पुरे ब्लाग को छान मारा कि शायद यह लेखक हिन्दुओं के भावना को आहत करने वाले हूसैन के चित्र के लिये भी कभी हूसैन को गरियाया होगा लेकिन मुझे सफलता नही मिला उसके द्वारा लिखे गये कई दुसरे लेख को पढा़ तब समझ में आया कि यह लेखक शायद कोई हूसैन कि तरह मानसिक विकृति बाला है जिसे हिन्दूओं के भावना को आहत करने में मान्सिक शुख मिलता है।






आखिर कौन हैं ये लोग जो हूसैन जैसे मानिसक दिवालिया जिहादी मानसिकता वालों के अवाज में अवाज मिला कर उसके साथ खरा नजर आता है इसके लिये हमें थोडा़ फ्लैश बैक में जाना होगा जब इस देश में अंग्रेजो का शासन था।
जब इस देश में अँग्रेज का शासन था उस समय इस देश में दो तरह के लोग थे एक जो अंग्रेज से लडा़ करते थे और दुसरा जो अंग्रेस के साथ खडा़ रहता था और इस देश के जनता को प्रडतारित करने में उसका मदद किया करता था यैसे आदमी को अंग्रेजो के द्वारा फेके गये टुकरे पर पला करते थे और अंग्रेजों को खुश करने के लिये किसी भी हद तक गिर जाया करते थे यहाँ तक अपनी बहन-बेटियों को भी तशतरी में परोस कर अंग्रेजो के सामने भोग लगाने के लिये रख दिया करते थे। उसके बदले में अंग्रेजों के फेके गये रोटी पर अपना पेट पालते थे।
इनका दुर्भाग्य अंग्रेज को इस देश से जाना पारा। यह देश आजाद आजादी के मतबालों ने जम कर खूशी मनाया लेकिन देश के दलालों के शरीर में बहने बाला दलाली का खुन ये नही बदल पायें। दलाली करने कि इनकी आदत जैसी कि तैसी बनी रही जिसका नतिजा यह हूआ कि समय समय पर यह अपने अवैध बाप को खोजने के लिये कभी चीन तो कभी पाकिस्तान कि ओर मूँह उठा कर देखने लगे कि कही से इनके अवैध बाप आयें और हम देशभक्त हिन्दुस्तानियों पर कहर बरपायें जिससे इन्हें मानसिक शुख मिले। ये यैसे दलाल हैं जिन्हें माँ भारता का नंगा चित्र बनाने बाला हूसैन को ये अपने पिता तुल्य मानतें हैं लेकिन माँ भारत के सच्चे सपूत इन्हें नाग कि तरह डसते हैं।
अन्त में
आरती भारत माता की जिसको नहीं सुहाती है
भारत भू की गौरव गाथा जीभ नहीं गा पाती है
हो सकता है बहुत बड़ा हो, पर भारत का भक्त नहीं
आदमी उसको कहने में शर्म बहुत ही आती है
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