चलो कहीं से कोई तो अच्छी खबर आई… हिन्दू देवी देवताओं के नंगे चित्र बनाने वाला पेंटर MF हुसैन को कतर की सरकार ने वहां की नागरिकता प्रदान कर दी है… इधर भारत सरकार ने तसलीमा नसरीन को वीज़ा देने से मना कर दिया है… सेकुलरों के इस नंगे नाच के बीच होली के अवसर पर हुसैन की यह खुशखबरी लीजिये… अन्तिम वक्त वहीं कतर में बीतेगा शायद…
6 comments:
हमें शायद बाहर से किसी आक्रमण की जरुरत ही नहीं है. मेरे एक मित्र ने एक बार मुझे बुद्धिजीवी की परिभाषा बताई थी जो बुद्धि बेच कर जीवित रहता हो. अब पता नहीं कितनी उचित है. कुछ घंटे पहले एक प्रभात शुंगलू जी का लेख पढ़ रहा था, सन्न रह गया. शायद प्रभात जी ने कभी हुसैन की पेंटिंग देखी ही नहीं.
February 26, 2010 at 12:23 AMमकबूल फिदा के इस नये आचरण ने सिद्ध कर दिया है कि उसके आलोचक सही थे। सही मायने में वह कभी भारतीय थे ही नहीं। वह वस्तुत: तालिबानी मानसिकता वाला 'पॉलिश्ड' मुसलमान थे जिन्होने कम्युनिस्ट रूप धारण करके भारतीय अस्मिता पर हमला करते रहे।
February 26, 2010 at 9:09 AMयदि पाकिस्तान और अफगानिस्तान में अमेरिका की उपस्थिति न रहती तो वह इन्हीं देशों की नागरिकता की भीख मांगते। वे कलाकर कम हैं, 'नाटककार' ज्यादा।
लेकिन अब उन्हें 'विचारों की स्वतंत्रता' का असली अर्थ समझ में आ जायेगा। कतर के नागरिक बनकर वह वहाँ धर्मनिरपेक्षता के लिये एक बार आवाज बुलन्द करके देखें। या मुहम्मद का एक तस्वीर (नंगी नहीं) बनाकर देखें। अगर 'सरकलम' से कम की सजा मिली तो बड़े भाग्यवान होंगे।
यह तो भारत के सेकुलरो के साथ सरासर नाइंसाफी है. बेचारे सब सेकुलर इस 'महान' पेंटर के वियोग में तड़प रहे थे. एक तरफ तो सारे सेकुलर और कोंग्रेस सरकार हुसैन को भारत लाने के लिए लाल कालीन बिछा रही है वही तसलीमा नसरीन के वीजा मांगने पर उसे टरका रही है. मजे की बात है की हुसैन भारत में अपने खिलाफ ९०० से अधिक केसों से बचना चाहते हैं. और वह कभी नंगे पैर तो कभी विवादास्पद पेंटिंग (?) बनाकर खबरों में बने रहने के लिए मीडिया का इस्तेमाल करते हैं. और हमारा मीडिया उन्हें मुफ्त में पब्लिसिटी देती है. पेंटिंग की दुनिया का एक ही उसूल है, जितनी चर्चा में (अच्छी या बुरी) रहोगे, उतनी ही ज्यादा कीमत मिलेगी. और हुसैन ने आज तक यही किया. जिसका श्रेय सेकुलरो और मीडिया को जाता है. वरना आज देश में हुसैन से ज्यादा प्रतिभाशाली पेंटर मौजूद हैं, लेकिन क्या करे उनके पास हुसैन की तारक मार्केटिंग और पब्लिसिटी के फंडे नहीं हैं. यदि हुसैन सेकुलर हैं तो क्या हुसैन उस कार्टूनिस्ट को समर्थन देंगे, जिसने मुहम्मद साहब का कार्टून बनाया, तो मुल्लो ने उसका सर कलम करने का फतवा जारी कर दिया है. क्या हुसैन सलमान रश्दी या तसलीमा नसरीन को समर्थन देंगे? बिलकुल नहीं, क्योंकि वह कलाकार नहीं बल्कि तालिबानी मानसिकता वाले 'आर्ट-जिहादी' हैं.
February 26, 2010 at 1:57 PMचलो जो भी अच्छा हुआ, खामखा बुढ़ापे में भारत लौटने की जिद करते और इधर पुलिस पर काम का बोझ बढ़ाते… वैसे भी शाहरुख जैसों के कारण पुलिस पर यदकदा बोझ पड़ता ही रहता है… :)
February 26, 2010 at 6:38 PMसही है ,कभी -२ अच्छा समाचार मिल जाता है |
March 10, 2010 at 2:16 PMअच्छा हुआ गंदगी गई
March 18, 2010 at 7:41 AMPost a Comment
बेधड़क अपने विचार लिखिये, बहस कीजिये, नकली-सेकुलरिज़्म को बेनकाब कीजिये…। गाली-गलौज, अश्लील भाषा, आपसी टांग खिंचाई, व्यक्तिगत टिप्पणी सम्बन्धी कमेंट्स हटाये जायेंगे…